बरगद का ये प्रयोग शीघ्र पतन, स्वपनदोष, कमज़ोरी, प्रमेह, वीर्य का पतलापन और अन्य वीर्य विकार दूर करके, काम शक्ति एवं शुक्रवर्धक, स्पर्म बढाने वाला, विवाहित जीवन में भरपूर आनंद दिलाने वाला है। ये प्रयोग बेहद सस्ता और चमत्कारिक परिणाम देने वाला है। ये प्रयोग वीर्य विकार और कमज़ोरी से ग्रस्त रोगियों के लिए अच्छे से अच्छे बल वीर्य वर्धक नुस्खों से कहीं अच्छा है।
काम शक्तिवर्धक एवं शुक्रवर्धक गुण बरगद में समाये हुए है। बरगद के वृक्ष में लाल लाल छोटे छोटे बेर के समान फल लगते है। बरगद के पेड़ के ये लाल लाल पके हुए फल हाथ से तोड़ें। ज़मीन पर गिरे हुए न लें। इनको ज़मीन पर कपडा बिछा कर छाया में सुखाएं। सूखने के बाद पत्थर पर पीसकर पाउडर बना लें। सुखाते समय पीसते समय लोहे का उपयोग नहीं होना चाहिए। लोहे से इन्हे नहीं छूना है। इस पाउडर के तोल के बराबर पीसी हुयी मिश्री मिला लें। मिश्री भी पत्थर पर ही पीसें। भली प्रकार मिश्री और बरगद के फलों के पाउडर को मिलाकर मिटटी के बर्तन में सुरक्षित रखें। इसकी आधी चम्मच सुबह शाम दो बार गर्म दूध से फंकी लें। इससे शीघ्र पतन समाप्त होकर काम शक्ति प्रबल हो जाती है। विवाहित जीवन का भरपूर आनंद आता है। शारीरिक स्वास्थय अच्छा होकर चेहरे पर ललाई चमकने लगती है। इस सस्ते लेकिन मेहनत से भरपूर प्रयोग को करके देखें।
बच्चे पैदा करने वाले कीटाणु (स्पर्म) यदि वीर्य में ना हो तो इस प्रयोग से बच्चे पैदा करने वाले कीटाणु वीर्य में पैदा हो जाते हैं। आदमी बच्चे पैदा करने योग्य हो जाता है। शुक्राणुओं के न होने से जो पुरुष बच्चे पैदा करने के अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं, वो इस प्रयोग को ज़रूर करें, और ये प्रयोग करने के बाद अपना अनुभव ज़रूर बताएं, जिस से और लोगों को भी ये प्रयोग करने की प्रेरणा ले सकें।
अन्य प्रयोग।
बरगद की कली, डंठल को तोड़कर इससे निकलने वाले दूध की पांच बूँद एक बताशे पर टपका कर खा जाएँ। इस प्रकार चार बताशे नित्य खाएं। यह सूर्योदय से पहले खाएं। नित्य दूध की एक बूँद बढ़ाते जाएँ। इस प्रकार दस दिन लेकर फिर एक बूँद नित्य कम करते जाएँ। इस प्रकार बीस दिन यह प्रयोग करने से वीर्य का पतलापन, प्रमेह, स्वपनदोष ठीक हो जाते हैं।