आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा की है, आयुर्वेद में इसे बलपुष्टिकारक, काम शक्ति वर्धक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत की उत्पत्ति पत्थर से हुई है। गर्मी के मौसम में सूर्य की तेज गर्मी से पर्वत की चट्टानों के धातु अंश पिघल कर रिसने लगता है। इसी पदार्थ को शिलाजीत कहा जाता है। यह देखने में तारकोल की तरह काला तथा गाढ़ा होता है जो सूखने के बाद एकदम चमकीला रूप ले लेता है। शिलाजीत के सूखने पर उसमें गौमूत्र जैसी गंध आती है।
इसके सेवन के न केवल सेक्स पॉवर बढ़ती है वरन इसके शरीर पर कई अन्य प्रभाव भी होते हैं जिनकी सहायता से बुढापा भी दूर रहता है।
शिलाजीत चार प्रकार का होता है: रजत, स्वर्ण, लौह तथा ताम्र शिलाजीत। प्रत्येक प्रकार की शिलाजीत के गुण तथा लाभ भी उनकी प्रकृति के ही अनुसार होते हैं।
शीघ्रपतन की समस्या
शिलाजीत का प्रयोग शीघ्रपतन की समस्या दूर कर वीर्यवर्द्धन के लिए किया जाता है। इसके लिए बीस ग्राम शिलाजीत तथा बंग भस्म में दस ग्राम लौह भस्म तथा छह ग्राम अभ्रक भस्म मिलाकर खाने से बहुत लाभ होता है। शीघ्रपतन की समस्या इससे पूर्ण रूप से दूर हो जाती है। परन्तु इस प्रयोग के दौरान खटाई, मिर्च मसाला आदि से पूरी तरह दूर रहना चाहिए।
सेक्स पॉवर बढ़ाने और स्वपनदोष के लिए
स्वप्नदोष की समस्या दूर करने के लिए भी शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए शुद्ध शिलाजीत, लौहभस्म, केसर तथा अम्बर का मिलाकर लेना होता है। इससे व्यक्ति की न केवल सेक्स पॉवर में सुधार आता है वरन उसका बूढ़ा शरीर भी 20 वर्ष के जवान की तरह इस प्रयोग के दौरान खटाई, मिर्च मसाला आदि से पूरी तरह दूर रहना चाहिए।
मधुमेह (डायबिटीज)
जिन लोगों को मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या है, उनके लिए भी शिलाजीत बेहद कारगर है। एक चम्मच शहद तथा एक चम्मच त्रिफला चूर्ण के साथ दो रत्ती शिलाजीत मिलाकर सेवन करने से डायबिटीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।
बहुमूत्र
जिन लोगों को बहुमूत्र या बार-बार मूत्र जाने की समस्या हो उन्हें शिलाजीत, बंग भस्म, छोटी इलायची के दाने तथा वंश लोचन का समान मात्रा में मिलाकर शहद के साथ सुबह शाम सेवन करना चाहिए। इससे शरीर में भी ताकत आती है और शरीर मजबूत होता है।
रोगप्रतिरोधक क्षमता
शिलाजीत से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। शिलाजीत का सुबह शाम दूध तथा शहद के साथ सेवन करने से शरीर बीमार नहीं पड़ता है। छोटे-मोटे इंफेक्शन ऎसे लोगों से दूर ही रहते हैं।
दिमागी ताकत बढ़ाने के लिए
शारीरिक ताकत के साथ साथ दिमागी ताकत बढ़ाने के लिए भी शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है। रोजाना एक चम्मच शुद्ध मक्खन के साथ शिलाजीत का सेवन करने से दिमागी थकावट नहीं होती और व्यक्ति की याददाश्त तथा दिमाग तेज होते हैं।
ब्लड़प्रेशर
शिलाजीत का प्रयोग ब्लड़प्रेशर को नॉर्मल करने में भी किया जाता है। शिलाजीत के प्रयोग से रक्त शुद्ध होकर नसों में रक्तसंचार बढ़ता है जिससे पूरे शरीर में कान्ति उभरती है तथा शरीर में ताकत आती है।
त्वचा को जवान रखने के लिए
बूढ़े होते शरीर तथा झुर्रीदार त्वचा से बचने के लिए भी शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए शिलाजीत, अश्वगंधा तथा सफेद मूसली को मिलाकर विशेष प्रक्रिया द्वारा दवा तैयार की जाती है। इस दवा के प्रयोग से सभी बीमारियां दूर होकर शरीर पुन: युवा हो जाता है।
सावधानी
शिलाजीत गर्म होता है, जिन्हें पहले से गर्मी बढ़ी हुई हो, उन्हें शिलाजीत से दूर रहकर अन्य औषधियों का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही शिलाजीत के सेवन के दौरान मिर्च-मसाले, खटाई, मांस, मछली, अंडे, शराब, रात में देर तक जागना, दिन में सोने जैसे कामों से बचना चाहिए।
शुद्ध शिलाजीत निरंतर सेवन करने से शरीर पुष्ट तथा स्वास्थ्य बढ़िया रहता है। आयुर्वेद में ऐसे कई योग हैं, जिनमें शुद्ध शिलाजीत होती है जैसे सूर्यतापी शुद्ध शिलाजीत बलपुष्टिदायक है, शिलाजत्वादि वटी अम्बरयुक्त मधुमेह और शुक्रमेह नाशक है, शिलाजतु वटी आयुवर्द्धक है, वीर्यशोधन वटी स्वप्नदोष और धातु क्षीणता नाशक है, चंद्रप्रभावटी विशेष नं. 1 मूत्र विकार और स्वप्नदोष नाशक है, प्रमेहगज केसरी मधुमेह नाशक है, आरोग्य वर्द्धिनी वटी विशेष नं. 1 उदर विकार नाशक है और ब्राह्मी वटी मस्तिष्क को बल देने वाली और स्मरण शक्तिवर्द्धक है। शिलाजीतयुक्त से सभी औषधियां बनी बनाई औषधि विक्रेता की दुकान पर इन्हीं नामों से मिलती है।