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बच्चों को होमवर्क करवाना अपने आप में ही चुनोती से कम नही है क्युकी बच्चा चाहे जिस उम्र का भी हो होमवर्क का नाम सुनते ही आनाकानी शुरू हो जाती है | लेकिन कुछ छोटी मगर जरुरी बातो का ख्याल रखकर आप होमवर्क के बहाने बच्चे को रोज पढ़ने बैठने की आदत आसानी से लगा सकती है | अगर होमवर्क बन गया है हेडेक, तो पढ़े ये टिप्स
- बच्चे ये सुनकर ही ठिठक जाते हैं की उन्हें होमवर्क करने कहा जा रहा है। अपनी भाषा से होमवर्क शब्द हटा दें। होमवर्क की जगह स्टडी टाइम कहें। ऐसा कहने से बच्चा पढ़ाई करने के लिए आसानी से तैयार हो जायेगा।
- पढ़ाई का एक रुटीन तय करें। रोज़ एक ही समय पर बच्चे को पढ़ाने बैठे।
- बच्चे को बार-बार ये कहने की जगह की तुम्हें होमवर्क करना है, पढ़ाई शुरू करने के पांच मिनट पहले स्ट्रिक्ट होकर बताएं या याद दिलाये की अगले 5 मिनट में उसे पढ़ने बैठना है। ऐसा करने से बच्चे को मन से तैयार होने का समय मिलेगा और बच्चा जो भी कर रहा होगा उसे समेटने का समय भी मिल जाएगा।
- होमवर्क और उससे जुड़ी चीज़ों के मामले में बच्चे को निर्णय लेने दें। जैसे ये पूछे कि उसे होमवर्क कब करना पसंद है, स्कूल से आते ही, खाने के पहले या खाने के बाद, या ये कि वो पहले कौन सा विषय पढ़ना चाहते हैं या वो कहां बैठकर पढ़ना चाहते हैं। लेकिन वो ये तय नहीं कर सकते कि उन्हें पढ़ना है या नहीं।
- बच्चे की मदद तभी करें जब वो ये कहे कि उसे मदद चाहिए। जबरदस्ती उन्हें हर स्टेप पर न टोकें।
- अगर बच्चा ये कहे कि मैं ये नहीं कर सकता, तो उससे कहें कि उस सवाल को बनाने की एक्टिंग करें। जब बच्चा सवाल बनाने की एक्टिंग करे तब आप वहां से हट जाएं। ऐसी ऐक्टिंग करते हुए कई बार बच्चे को सवाल समझ में आने लगते हैं। लेकिन अगर बच्चे को वाकई दिक्कत आएं तब उसकी मदद करें। सीधे जवाब बताने की जगह पहले उसके बारे में उससे सवाल पूछें जैसे उसे क्या नहीं समझ में आया आदि।
- बच्चे को टाइम मैनेजमेंट के साथ-साथ ये भी बताएं कि कैसे उसे जो जरूरी है वो चीज़ें पहले करनी है। उसे सीखाएं कि कैसे एजेंडा बनाया जाता है और कैसे जब भी वो पढ़ने बैठे तो तय चीजें खत्म करके ही उठे।
- होमवर्क करवाने के लिए किसी तरह का ईनाम देने जैसे वादे न करें। इसकी जगह होमवर्क पूरा होने पर उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया दें जैसे ‘वाह, तुमने तो सिर्फ 15 minute में ही होमवर्क खत्म कर लिया।’