Dry Cough And Wet Cough: आयुर्वेद (Ayurveda) केवल एक चिकित्सा विज्ञान (Treatment Method) नहीं है बल्कि जीवन को ठीक विधि से जीने की पद्धिति है (Right Lifestyle)। जो लोग आयुर्वेद के नियमों का पालन करते हुए अपनी डेली लाइफ को एंजॉय करते हैं। वे लंबे समय तक स्वस्थ्य जीवन जीते हैं (Healthy Life) और अच्छे स्वास्थ्य के मालिक बने रहते हैं। आयुर्वेद में ऐसे कई नियम हैं, जो उपचार के दौरान आपको दंग कर सकते हैं। ऐसे ही नियमों में से एक नियम है आयुर्वेदिक कफ सिरप से जुड़ा हुआ। जिसे लेने का उपाय बदलकर आप सूखी और गीली दोनों तरह की खांसी को ठीक कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक कफ सिरप की अच्छाई यह होती है कि इसमें जड़ी बूटियों के अर्क का उपयोग किया जाता है और एल्कोहोल की मात्रा इसमें नहीं होती है। जबकि ज्यादातर अंग्रेजी कफ सिरफ में एल्कोहोल की कम या अधिक मात्रा उपयोग की जाती है। यही वजह है कि डॉक्टर्स आपको ऐलोपेथिक दवाएं दूध से लेने की सलाह नहीं देते हैं। जबकि आयुर्वेद में ऐसी सैकड़ों दवाएं हैं, जिनका सेवन दूध के साथ करने पर आपको शीघ्र अच्छे रिज़ल्ट मिलते हैं। वैसे बात करते हैं आयुर्वेदिक कफ सिरप की।
यदि आपको सूखी खांसी हो रही है तो एक अच्छे आयुर्वेदिक कफ सिरप को आप आधा ग्लास गर्म दूध में मिलाकर इसका चाय की तरह सेवन करें। लेकिन यदि आपको गीली खांसी हो रही है यानी खांसी के साथ बलगम (Cough) आ रहा है तो आप इस कफ सिरप को पानी के साथ उपयोग करें। ऐसा करने से आपको खांसी में शीघ्र आराम मिलेगा और सीने पर भारीपन की परेशानी और गले से सांस के साथ आ रही अजीब आवाजें शीघ्र बंद हो जाएगी।
उदाहरण के तौर पर आप पतंजलि की श्वसारि कफ सिरप का उपयोग कर सकते हैं। यह दोनों ही तरह की खांसी दूर करने की एक उपयोगी और बहुत कारगर दवाई है। गीली खांसी में कफ सिरप को दूध को साथ इसलिए नहीं लेते हैं क्योंकि कफ होने पर दूध पीने के कारण शरीर में कफ की मात्रा बढ़ सकती है। जबकि सूखी खांसी होने पर दूध आंतरिक मसल्स को मॉइश्चर देता है और खांसी के दौरान हो रही समस्याओं को बहुत तेजी से दूर करता है।