अश्वगंधा बलवर्धक वीर्यवर्धक व् शुक्रल अर्थात शुक्र धातु को पुष्ट करने वाली जड़ी बूटी है। पुरुष रोगों में ये बहुत महत्वपूर्ण है। अश्वगंधा को असगंध या वाजीगंधा भी कहा जाता है। इसका सेवन काम शक्ति को बढ़ाता है और यौवन प्रदान करता है। इसकी जड़ों का इस्तेमाल कई प्रकार की शक्तिवर्धक दवाओं को बनाने में किया जाता है।
अश्वगंधा एक बलवर्धक रसायन मानी गयी है। इसके गुणों की चिर पुरातन समय से लेकर अब तक सभी विद्वानो ने भरपूर सराहना की है। इसे पुरातन काल से ही आयुर्वेदज्ञों ने वीर्यवर्धक, शरीर में ओज और कांति लाने वाले, परम पौष्टिक व् सर्वांग शक्ति देने वाली, क्षय रोगनाशक, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ने वाली एवं वृद्धावस्था को लम्बे समय तक दूर रखने वाली सर्वोत्तम वनौषधि माना है। यह वायु एवं कफ के विकारों को नाश करने वाली अर्थात खांसी, श्वांस, खुजली, व्रण, आमवात आदि नाशक है। इसे वीर्य व् पौरुष सामर्थ्य की वृद्धि करने, शरीर पर मांस चढाने, स्तनों में दूध की वृद्धि करने, बच्चों को मोटा व् चुस्त बनाने तथा गर्भधारण के निमित व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
दुनिया में लोगों को सेक्स संबंधी समस्या सबसे ज़्यादा होती है। माना जाता है कि सेक्स प्रॉब्लम में अश्वगंधा रामबाण दवा होती है। इसमें ऐसे-ऐसे गुण होते हैं जो शरीर को ऊर्जा और क्षमता प्रदान करती है जिससे व्यक्ति में यौन क्षमता का विकास होता है और उसकी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
अश्वगंधा का सेवन करने से प्रजनन में इजाफा होता है। इससे स्पर्म काउंट बढ़ता है और वीर्य भी अच्छी मात्रा में बनता है। अश्वगंधा, शरीर को जोश देता है जिससे पूरे शरीर में आलस्य नहीं रहता है और थकान भी नहीं आती है। अश्वगंधा में जवानी को बरकरार रखने की काफी शक्ति होती है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
इसको निरंतर अगर सेवन करना हो तो आधा टी स्पून ही इस्तेमाल करना चाहिए। और ये रात को दूध के साथ अत्यंत गुणकारी हो जाता है. अश्वगंधा का इस्तेमाल सदैव दूध के साथ ही करना चाहिए।