Importance of a thyroid test during pregnancy : प्रेग्नेंसी की शुरुआत और पूरी 9 महीने की जर्नी तक गर्भवती महिला के समय-समय पर कई टेस्ट किये जाते हैं। इनमें ब्लड टेस्ट से लेकर अल्ट्रासाउंड और कई अन्य टेस्ट शामिल हैं, जिनकी मदद से शरीर में पोषण, खून की कमी और बच्चे की पोजीशन का पता लगाया जाता है। टेस्ट की मदद से एचआईवी, डायबिटीज और एंटीबॉडी आदि की जांच भी की जाती है। इन टेस्ट की मदद से 9 महीने तक एक स्वस्थ प्रेग्नेंसी को कैरी करने में बहुत मदद मिलती है। लेकिन आपने देखा होगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान सबसे पहले महिलाएं थायराइड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर थायराइड की जांच समय-समय पर करते रहते हैं, क्योंकि कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी से पहले, तो कुछ में प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड से जुड़ी समस्याओं का सामना करती हैं। डॉक्टर्स की मानें, तो प्रेग्नेंसी में थायराइड फंक्शन का स्वस्थ होना और थायराइड हार्मोन्स का संतुलन बने रहना बहुत आवश्यक है। बहुत सी महिलाएं अक्सर डॉक्टर से यह सवाल पूछती हैं कि आखिर प्रेग्नेंसी थायराइड हार्मोन की जांच को इतना महत्व क्यों दिया जाता है? यह टेस्ट कराना क्यों जरूरी होता है? इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने दिल्ली के अपोलो डायग्नोस्टिक्स के नॅशनल टेक्निकल हेड और चीफ पॅथोलॉजिस्ट डॉ. राजेश बेंद्रे से बात की। इस लेख में जानें प्रेग्नेंसी में थायराइड टेस्ट कराना क्यों जरूरी है?
प्रेग्नेंसी में थायराइड की जांच कराना क्यों जरूरी है- Why Thyroid Test Is Important In Pregnancy In Hindi
डॉ. राजेश बेंद्रे के अनुसार, “प्रेग्नेंसी में थायराइड बढ़ने से गर्भ में भ्रूण का विकास ठीक से नहीं हो पाता है। इसे बच्चे के अंग, मस्तिष्क और हृदय आदि का विकास प्रभावित होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि थायराइड ग्रंथि टी3 और टी4 हार्मोन बनाने में बहुत हम भूमिका निभाती है। ये हड्डियां, कोलेस्ट्रॉल, शरीर का तापमान, पाचन तंत्र, हृदय गति आदि को नियंत्रित करने में मदद मदद करते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान खराब थायराइड फंक्शन या थायराइड का बढ़ना अच्छा नहीं माना जाता है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान मां और होने वाले बच्चे की सेहत को काफी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए गर्भावस्था दौरान थायराइड की जाचं कराना काफी जरूरी हैं। क्योंकि थायराइड हार्मोन भ्रूण के मस्तिष्क व शारीरिक विकास में मदद करते हैं।
प्रेग्नेंसी में थायराइड की जांच के लिए कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं?
जब प्रेग्नेंसी में थायराइड की जांच की बात आती है, तो कई प्रमुख टेस्ट पर विचार किया जाता है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, थायराइड फ़ंक्शन की जाचं की जाती हैं। जैसे कि हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण नजर आने पर, टीएसएच टेस्ट किया जाता है। यह एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है। अगर टीएसएच का स्तर सामान्य से कम है, तो मतलब आपको हाइपरथायराइडिज्म है। शरीर में हार्मोन का स्तर, संतुलित करने के लिए डॉक्टर एंटीथायराइड दवा देते हैं। ये दवा शिशु के लिए सुरक्षित मानी जाती है। प्रेग्नेंसी से पहले और प्रेग्नेंसी के दौरान, डॉक्टर थायराइड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
इसके अलावा. टी 4 परीक्षण थायरॉक्सिन के स्तर के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है, जो थायरॉयड ग्रंथि द्वारा निर्मित एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। यह परीक्षण यह निर्धारित करने में मदद करता है कि क्या थायराइड हार्मोन में असंतुलन है, जो प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर सकता है।
टीपीओ एंटीबॉडी टेस्ट कराने की सलाह भी दी जाती है, क्योंकि यह हाशिमोटो बीमारी जैसे ऑटोइम्यून थायरॉयड रोग से जुड़े ऑटोएंटीबॉडी का पता लगा सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में थायराइड से बचने के लिए क्या करें?
- प्रेग्नेंसी में थायराइड से बचने के लिए नियमित व्यायाम करें।
- समय-समय पर सेहत की जाचं कराएं।
- प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड की जाचं कराए।
- जादा पानी का सेवन करें।
- गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार लें।
- फल और ताजी सब्जियां अधिक खाएं।
ये सावधानियां भी बरतें
- परिवार में अगर किसी को थायराइड की समस्या हो तो सावधानियां बरतें।
- थायराइड ग्रंथि में आई सूजन को कम करने के लिए, ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करें। अखरोट में ओमेगा पाया जाता है।
- प्रेग्नेंसी में थायराइड होने पर, जंक फूड का सेवन न करें क्योंकि उससे वजन बढ सकता हैं।
- प्रेग्नेंसी में ग्लूटेन का सेवन न करें। ये एक तरह का प्रोटीन होता है। गेहूं, सूजी, ब्रेड, पास्ता में ग्लूटेन पाया जाता है। प्रोसेस्ड फूड्स और मीठी चीजों का सेवन करने से भी बचें।