पानी शरीर का सार है, हमारे शरीर का 75 % पानी ही है, हमको दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए, मगर कुछ घड़ियाँ ऐसी होती हैं जिनमे पानी पीना अनेक रोगों को आकर्षित करता है, ऐसे में इसका पूरा ख्याल रखें. आइये जाने…
बिलकुल सोते हुए
शौच के आते ही
लघुशंका (मूत्र) करते ही
दूध के पीते ही
चाय पीते ही
चाट खाते ही
चना खाते ही
भोजन करते ही
चलकर थके हुए हों तो
पसीने में आते ही
मेहनत करके निबटते हुए
भूखे पेट व्रत खोलते ही
उपरोक्त परिस्थितियों में अचानक से पानी नहीं पीना चाहिए। जैसे ही शरीर का तापमान सामान्य हो तब ही जल ग्रहण करें। अन्यथा शारीर और पानी का तापमान भिन्न होने के कारण शारीर रोगों कि चपेट में आ सकता है।
भोजन के तत्काल बाद गले में खुश्की जैसा लगता है, उससे विचलित होने के बजाये उसे सहन करने कि आदत डालनी चाहिए, जो लोग भोजन के तत्काल बाद पानी पीते हैं, वे लगभग एक घंटे तक सब्र रखें।