मान्यता है कि जब देवता और दानव अमृत कलश को लेकर झगड़ा कर रहे थे तब अमृत की कुछ बुँदे धरती पर गिरी और उनसे गिलोय उत्पन्न हुई
हो सकता है कुछ बुद्धिजीवी सेकुलर प्राणी इसमें विश्वास न करे ।पर आज अगर हम गिलोय को विज्ञानं की कसोटी पर कसते हैं तो सच लगता है कि गिलोय वास्तव में धरती पर अमृत है।
मेरे एक मित्र की धर्मपत्नी को गंभीर आर्थराइटिस हो गया अर्थराइटिस के कारन उसको लगातार हल्का हल्का बुखार 24 घंटो सातो दिन रहता था ।
सभी इलाज करवाये फायदा नहीं मिला बुखार अपनी जगह छोड़ने को तैयार ही नहीं था।
तो उन्होंने गिलोय दी पहले उन्होंने गिलोय उबालकर दी उससे थोडा लाभ हुआ पर बाद में उन्होंने गिलोय को रत को मिटटी के बर्तन में भिगो दिया क्रश करके । बाद में उसको सुबह छानकर पी लिया चमत्कार हो गया जो बुखार किसी भी तरह नहीं जा रहा था वह केवल गिलोय लेने से चला गया।
आयुर्वेद में जब किसी औषधि के ज्यादा लाभ लेना ही तो उसका सत्व बनाते हैं गिलोय का सत्व इस धरती पर अमृत है।
आइये सिखते हैं घर पर गिलोय सैत्व बनाने की विधि
गिलोय को लेकर अच्छी तरह कूटकर किसी बर्तन में डालकर पानी में अच्छी तरह डुबो देंवे।
72 घंटे तक ऐसे ही छोड़ देंवे आप देखेंगे की पानी लिसलिसा हो गया 72 घंटे बाद पानी को छानकर रख देंवे छाल को निकाल कर फेक दे या पशुओं को खिला देंवे कुछ घंटे बाद पानी के निचे सफ़ेद पाउडर इकट्ठा हो जायेगा।
यही धरती का अमृत है इसको एक चावल के दाने के बराबर या चिकित्सक की सलाह से रोगी व्यक्ति या स्वस्थ व्यक्ति सेवन करे।
रोग प्रतिरोधक ताकत बढ़ जायेगी