ग्लूकोमा की बात करें तो इसे काला मोतियाबिंद के नाम से भी जाना जाता है, इसकी समस्या होने पर हमारी दृष्टि कम होने लग जाती है, वहीं इसका यदि ठीक समय में उपचार न किया जाए तो आदमी दृष्टिहीन भी हो सकता है. ग्लूकोमा की समस्या पहले अधिकांश बढ़ते आयु के लोगों को अधिक होती थी लेकिन इस समस्या से आजकल कम आयु के लोग भी ग्रसित होते दिखाई दे रहे हैं. आंखों से जुड़ी ये रोग इसलिए भी अधिक तेजी से फ़ैल रही है क्योंकि आधुनिक लाइफस्टाइल होने के चलते आदमी को अधिक कार्य कंप्यूटर,लैपटॉप या मोबाइल में पड़ता है. इसका इफ़ेक्ट आंखों के रोशनी के ऊपर पड़ता है. इसलिए जानिए कि इस रोग से स्वयं का बचाव कैसे किया जा सकता है.
क्या होता है ग्लूकोमा
ग्लूकोमा की बात करें तो ये तब होती है जब आदमी कि ऑप्टिकल नर्व धीरे-धीरे नर्व धीरे-धीरे बेकार होने लग जाती है, इसके होने पर आंखों के अंदर रिसने वाले जो फ्लूइड होता है वे बेकार होना प्रारम्भ हो जाता है, वहीं ये अधिक बढ़ जाती है तो आदमी कि आंखें निर्बल हो जाती है और आदमी दृष्टिहीन हो जाता है. इसलिए यदि इसके शुरूआती लक्षण दिखने लग जाए तो आदमी को समय पर इसका उपचार प्रारम्भ कर देना चाहिए.
जानिए इसके लक्षणों के बारे में
ग्लूकोमा होने पर आदमी के चश्मे के नंबर लगातार बढ़ता जाता है, इसमें सरदर्द की समस्या के साथ आंखों से लागातर आंसू आने की समस्या भी बनी रहती है, और इसमें आदमी को दूर का भी नहीं दिखाता है और लक्षणों कि बात करें तो इसके बार आंखें लाल रहती हैं वहीं आदमी को बार-बात उल्टियां भी हो सकती हैं. सिरदर्द तेजी से बढ़ सकता है, और दिखने में भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
जानिए युवाओं में कैसे बढ़ता है ग्लूकोमा
आजकल इसकी समस्या सबसे अधिक युवाओं में ही दिखाई दे रही है,युवाओं में ये समस्या इसलिए भी अधिक बढ़ रही है, क्योंकि वे अपना ज्यादातर समय मोबाइल या लैपटॉप के सामने ही व्यतीत करते हैं, वहीं जो आदमी डायबिटीज की रोग से ग्रसित हैं उनको भी ग्लूकोमा होने का खतरा अधिक होता है, इसलिए आपको इसकी जाँच को समय-समय पर जरूर करवाना चाहिए.