Karkatshringi Benefits in Asthma: प्रदूषण, खराब जीवनशैली और स्मोकिंग आदि की आदत के कारण कम उम्र के लोगों में भी सांस से जुड़ी बीमारियां हो रही हैं। सांस लेने में तकलीफ और सांस फूलने की समस्या होने पर इसे अस्थमा का लक्षण माना जाता है। अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, इस बीमारी में मरीज को सांस लेने में गंभीर परेशानी होती है। प्रदूषित हवा में सांस लेने और स्मोकिंग आदि की वजह से इसका खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में मरीज के फेफड़ों के एयरवेज में सूजन हो जाती है और इसकी वजह से सांस लेने में गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्थमा और सांस से जुड़ी अन्य बीमारियों में आयुर्वेदिक और नेचुरल हर्ब्स का सेवन फायदेमंद होता है। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए काकड़ श्रृंगी का सेवन बहुत मददगार होता है।
अस्थमा और सांस की बीमारियों में काकड़ श्रृंगी के फायदे- Karkatshringi Benefits in Asthma in Hindi
हिमालय की पहाड़ियों में पाया जाने वाला शक्तिशाली हर्ब काकड़ श्रृंगी अनेकों औषधीय गुणों से युक्त होता है। काकड़ श्रृंगी की लकड़ी की छाल निकालकर इसकी दवा तैयार की जाती है, जिसका इस्तेमाल सदियों से कई गंभीर बीमारियों के इलाज में होता है। काकड़ श्रृंगी को कर्कट श्रृंगी, काकरा श्रृंगी जैसे नामों से जाना जाता है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के आयुर्वेदिक डॉ एसके पांडेय कहते हैं, “काकड़ श्रृंगी में मौजूद गुण वात और कफ जैसे दोष को संतुलित करने और सांस से जुड़ी बीमारियों में राहत देने का काम करते हैं। इसका सेवन करने से खांसी, बाल रोग, रक्तपित्त, उल्टी, कृमि जैसे दोष को कम करने में फायदा मिलता है।
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अस्थमा में कैसे करें काकड़ श्रृंगी का सेवन?
अस्थमा में काकड़ श्रृंगी का सेवन करने से सांस बेहतर बनाने और शरीर में मौजूद कफ को कम करने में मदद मिलती है। काकड़ श्रृंगी के 2 ग्राम चूर्ण को 2 ग्राम कायफल और शहद के साथ मिलाकर चाटने से फायदा मिलता है। रोजाना सुबह के समय खाली पेट इसका सेवन करने से सांस से जुड़ी बीमारियों और अस्थमा के खतरे को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा काकड़ श्रृंगी का सेवन करने से खांसी-जुकाम में भी फायदा मिलता है।
अस्थमा में मरीज के फेफड़ों के एयरवेज में सूजन हो जाती है और इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। इस समस्या में सांस लेने में दिक्कत, लगातार खांसी, घबराहट और बेचैनी, रात में सोते समय खांसी, बात करते समय कठिनाई और सीने या छाती में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। इस बीमारी के लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लेकर जांच और इलाज कराना चाहिए।
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