कैसे वक्ष स्थल (स्तनों) को दें सही आकार, स्त्री की सौंदर्यता को बनाये रखने में उनके स्तन की अपनी विशेष भूमिका मानी जाती है क्योंकि वक्ष स्थल यदि ढीले और कमजोर होते हैं, तो उसकी शरीर सौंदर्यता कम होती है |
इसी प्रकार यदि स्तन आकर्षक, पुष्ट और प्राकृतिक रूप से सुडौल होते हैं तो वह नारी की सौंदर्यता को और अधिक निखार देते हैं | वक्षस्थल (Breast) को मनचाहा आकार देने का आयुर्वेदिक उपचार : अरंडी के पत्ते, घीग्वार (ग्वारपाठा) की जड़, इन्द्रायन की जड़, गोरखमुंडी एक छोटी कटोरी, सब 50-50 ग्राम | पीपल वृक्ष की अन्तरछाल, केले का पंचांग (फूल, पत्ते, तना, फल व जड़) , सहिजन के पत्ते, अनार की जड़ और अनार के छिलके, खम्भारी की अन्तरछाल, कूठ और कनेर की जड़, सब 10-10 ग्राम | सरसों व तिल का तेल 250-250 मिलीग्राम तथा शुद्ध कपूर 15 ग्राम | यह सभी आयुर्वेद औषधि की दुकान पर मिल जाएगा |
उपाय को तैयार करने की विधि : सब द्रव्यों को मोटा-मोटा कूट-पीसकर 5 लीटर पानी में डालकर उबालें | जब पानी सवा लीटर बचे तब उतार लें | इसमें सरसों व तिल का तेल डालकर फिर से आग पर रखकर उबालें | जब पानी जल जाए और सिर्फ तेल बचे, तब उतारकर ठंडा कर लें, इसमें शुद्ध कपूर मिलाकर अच्छी तरह मिला लें | बस दवा तैयार है | असामान्य व अविकसित स्तन
उपाय को उपयोग करने की विधि : इस तेल को नहाने से आधा घंटा पूर्व और रात को सोते समय स्तनों पर लगाकर हलके-हलके मालिश करें |
इस उपाय से होने वाले लाभ : इस तेल के नियमित प्रयोग से 2-3 माह में स्तनों का उचित विकास हो जाता है और वे पुष्ट और सुडौल हो जाते हैं | ऐसी युवतियों को तंग चोली नहीं पहननी चाहिए और सोते समय चोली पहनकर नहीं सोना चाहिए | इस तेल का प्रयोग लाभ न होने तक करना चाहिए |