हाई कोलेस्ट्रॉल या फिर हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया की स्थिति किसी के लिए भी नयी नहीं है. आज बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल बहुत से लोगों के लिए परेशानी बन गया है. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि कोलेस्ट्रॉल हमारे रक्त वाहिकाओ में जमा होने वाला एक पदार्थ है जो रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है. जिसकी वजह से हार्ट अटैक आ जाता है, या हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है. ज्ञात हो कि हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया को लिपिड डिसऑर्डर या हाइपरलिपिडिमिया के नाम से भी जाना जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं आखिर हाई कोलेस्ट्रॉल के कौन से लक्षण हैं जो आंखों में भी दिखाई दे सकते हैं.हाई कोलेस्ट्रॉल के सामान्य लक्षणआपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक है या नहीं इसके कुछ सामान्य ही लक्षण हैं जो देखने को मिलते हैं. ऐसे में आदमी की स्थिति कैसी भी क्यों न हो लक्षण गिने चुने ही होते हैं, जैसे मतली, सुन्नता, थकान, हाई बीपी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द या एनजाइना आदि. बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल की गंभीर बात यह है कि इसके शुरुआती लक्षण नहीं होते. इसलिए आमतौर पर आदमी को हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति की जानकारी बहुत ज्यादा देर से होती है.
हाई कोलेस्ट्रॉल या फिर हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया की स्थिति किसी के लिए भी नयी नहीं है. आज बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल बहुत से लोगों के लिए परेशानी बन गया है. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि कोलेस्ट्रॉल हमारे रक्त वाहिकाओ में जमा होने वाला एक पदार्थ है जो रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है. जिसकी वजह से हार्ट अटैक आ जाता है, या हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है. ज्ञात हो कि हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया को लिपिड डिसऑर्डर या हाइपरलिपिडिमिया के नाम से भी जाना जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं आखिर हाई कोलेस्ट्रॉल के कौन से लक्षण हैं जो आंखों में भी दिखाई दे सकते हैं.
हाई कोलेस्ट्रॉल के सामान्य लक्षण
आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक है या नहीं इसके कुछ सामान्य ही लक्षण हैं जो देखने को मिलते हैं. ऐसे में आदमी की स्थिति कैसी भी क्यों न हो लक्षण गिने चुने ही होते हैं, जैसे मतली, सुन्नता, थकान, हाई बीपी, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द या एनजाइना आदि. बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल की गंभीर बात यह है कि इसके शुरुआती लक्षण नहीं होते. इसलिए आमतौर पर आदमी को हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति की जानकारी बहुत ज्यादा देर से होती है.
आंखों पर दिखने वाले लक्षण
रिपोर्ट्स के अनुसार जब आदमी के शरीर में कोलेस्ट्रॉल
की मात्रा अधिक होती है, तो इस दौरान आंखों में कुछ परिवर्तन देखने को मिलते हैं. हालांकि यह परिवर्तन पूरी तरह से कोलेस्ट्रॉल से जुड़े नहीं होते. लेकिन यह स्थिति भी बताने के लिए बहुत ज्यादा है कि आपको डॉक्टर के परामर्श की आवश्यकता है.
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान आंखों की ऊपरी पलकों के इर्द गिर्द सफेद और पीले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. हालांकि ऐसा कुछ दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी हो सकता है. लेकिन ज्यादातर इसे हाइपरलिपिडिमिया से ही जोड़ कर देखा जाता है. यह निशान आमतौर पर थोड़े मुलायम या सेमी सोलिड होते हैं.
कॉर्नियल आर्कस भी हाई कोलेस्ट्रॉल का एक साइन है. आपको बता दे कि यह आंख के आईरिस के चारों तरफ होता है जो किसी पीले और सफेद रंग के छल्ले की तरह दिखाई देता है. ज्ञात हो कि आइरिस आंख का रंगीन भाग होता है. एक्सपर्ट के अनुसार यदि आपकी आयु 50 से कम है और आपकी आंखों में आपको ऐसा कोई छल्ला दिखाई देता है, तो यह एक साइन है कि आपको फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया है.
भारत में कोलेस्ट्रॉल के मामले
आपको जानकर आश्चर्य होगी कि हिंदुस्तान में हर वर्ष हाई
कोलेस्ट्रॉल के औसतन एक करोड़ से भी अधिक मुद्दे देखने को मिलते हैं. इसके अतिरिक्त 2017 में हुए एक शोध के अनुसार हिंदुस्तान में कोलेस्ट्रॉल के मरीज 25 से 30 फीसदी शहरों में और 15 से 20 फीसदी ग्रामीण इलाकों में उपस्थित हैं. हालांकि यह आंकड़े विकसित राष्ट्रों के मुकाबले बहुत ज्यादा कम है. वहीं हिंदुस्तान में कोलेस्ट्रॉल की स्थिति से जुड़ी कई समस्याएं है जो कुछ इस प्रकार हैं. इसमें, डिस्लिपिडेमिया बॉर्डर लाइन हाई लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल, हाई लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल और हाई ट्राइग्लिसराइड्स आदि शामिल है.
कोलेस्ट्रॉल का रोल
कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में कई जरूरी काम करता है. आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि इसके जरिए सेल मेंब्रेन का स्ट्रक्चर तैयार होता है. जिसके जरिए एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और एड्रिनल हार्मोन का निर्माण होता है. यही नहीं कोलेस्ट्रॉल के जरिए मेटाबॉलिज्म तो बूस्ट होता ही है. साथ ही यह
विटामिन डी के निर्माण के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. यह वसायुक्त पदार्थ लीवर के द्वारा निर्मित होता है. इसके अतिरिक्त यह भोजन के जरिए भी शरीर में आता है और ज्यादातर यह जानवरों के द्वारा प्राप्त खाद्य सामग्री के जरिए ही शरीर में आता है. कोलेस्ट्रॉल में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन, उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन और ट्राइग्लिसराइड होते हैं.
इसमें कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन को बैड कोलेस्ट्रॉल बोला जाता है. वहीं उच्च घनत्व वाले कोलेस्ट्रॉल को
गुड कोलेस्ट्रॉल बोला जाता है. ज्ञात हो कि ट्राइग्लिसराइड्स ही कोलेस्ट्रॉल के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं.
कोलेस्ट्रॉल कब खतरनाक
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर
तय स्तर से अधिक हो जाता है तो यह मानव शरीर के लिए खतरनाक हो जाता है, और कई समस्याओं की वजह बन जाता है.
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि हमारे शरीर के लिए 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से कम कोलेस्ट्रॉल को सामान्य श्रेणी में रखा जाता है. एक पुरुष के लिए गुड कोलेस्ट्रॉल या एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 40 होना चाहिए. वहीं स्त्रियों के लिए यह 50 होना चाहिए. इसके अतिरिक्त बैड कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 100 से नीचे ही होना चाहिए. वहीं साधारण स्थिति में ट्राइग्लिसराइड्स 149 मिलीग्राम/डीएल से कम ही होना चाहिए.