Surya Arghya Rules: हिंदू धर्म में सूर्य देव (Lord Surya) को अर्घ्य देने और पूजा आदि का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य देव को स्वास्थ्य, पिता और आत्मा का कारक माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से सभी तरह के कष्टों से छुटकारा मिलता है। यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य निर्बल (Weak Surya In Kundali) स्थिति में है तो केवल जल चढ़ाकर भी सूर्य को मजबूत किया जा सकता है। शास्त्रों में भी नियमित रूप से सूर्य देव को जल अर्पित करना का विशेष महत्व बताया गया है। लेकिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से पहले उसके नियमों के बारे में जान लेना बहुत महत्वपूर्ण है।
सूर्यदेव को जल अर्पित (Surya Dev Water Offer Rules) करते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। नियमों के पालन के साथ ही यदि आप सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं, तो मां लक्ष्मी की कृपा होती है। आइए जानते हैं जल चढ़ाने के नियमों के बारे में।
सूर्य देव को जल चढ़ाने का ठीक उपाय (Surya Dev Jal Offer Rules )
1- सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान के बाद साफ और धुले हुए कपड़े ही धारण करें। ऐसी मान्यता है कि नियमित रूप से सू्र्यदेव को जल चढ़ाने से जीवन में कभी भी धन की समस्या नहीं रहती।
2- संभव हो तो उगते हुए सूर्य को ही जल चढ़ाएं। उगते सूर्य को जल देने से खास फल की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि प्रातः काल के समय सूर्य की निकलने वाली किरणें शरीर का कष्ट दूर करती हैं। इसलिए रोगों से मुक्ति के लिए उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए।
3- सूर्य देव को जल का अर्घ्य अर्पित करने के बाद तीन बार परिक्रमा अवश्य लगाएं और इसके बाद धरती के पैर छू कर ओम सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
4- सूर्य को अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके दोनों हाथ सिर के ऊपर हों। इतना ही नहीं सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
5- इस बात का भी ध्यान रखें कि लाल कपड़े पहनकर सूर्य देव को जल देना शुभ होता है। जल अर्पित करने के बाद धूप, अगबत्ती आदि से भगवन की पूजा करें। अर्घ्य देते समय जल में रोली या फिर लाल चंदन और लाल फूल डाल लें।
6- ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव को जल हमेशा प्रातः काल के समय देना फलदायी माना जाता है। यदि सूर्य के दर्शन नहीं हो रहे हों तो जहां आप खड़े हो वहीं उनका नाम लेकर जल अर्पित कर देने से भी फायदा होता है।
7. इस दौरान ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना भी फलदायी होता है। सूर्य देव को जल अर्पित करते समय ध्यान रखें कि मुख पूर्व दिशा की ओर ही हो। पूर्व दिशा की ओर सूर्य नजर न आने पर ही दूसरी दिशा (जहां वे दिख रहे हैं) की ओर मुख करके ही अर्घ्य दें।