भगवान गणेश (Lord Ganesha) माता पार्वती और महादेव के पुत्र हैं, हालाँकि आप शायद ही जानते होंगे कि माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) भी श्रीगणेश को ही अपना पुत्र मानती है? जी दरअसल गणपति को माता लक्ष्मी का दत्तक पुत्र बोला जाता है. जी हाँ और इसी के चलते दिवाली पर माता लक्ष्मी की श्रीगणेश के साथ पूजन माता और पुत्र के रूप में होता है. कहते है कि लक्ष्मी के साथ यदि गणपति का भी पूजन किया जाए तो माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं और ऐसे भक्तों पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाकर रखती हैं. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान गणेश माता लक्ष्मी के पुत्र कैसे बने. जी दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा (Mythological Story) है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
पौराणिक कथा – माता लक्ष्मी को जगत जननी बोला जाता है, क्योंकि वे जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पत्नी हैं. सारा दुनिया माता लक्ष्मी के ही प्रेम और माया से चलता है. पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार माता लक्ष्मी को इस बात का घमंड हो गया कि दुनिया में हर कोई लक्ष्मी को ही पाना चाहता है. लक्ष्मी के बगैर किसी का कार्य ही नहीं चल सकता. मां लक्ष्मी के इस अभिमान को श्री हरि ने भांप लिया, तब विष्णु जी ने सोचा कि माता का ये अहंकार खत्म करना बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए उन्होंने बोला कि ये हकीकत है कि देवी लक्ष्मी के बगैर दुनिया में कुछ नहीं हो सकता. सारा दुनिया आपको पाने के लिए व्याकुल रहता है, लेकिन फिर भी देवी आप अपूर्ण हैं.
नारायण की बात सुनकर माता लक्ष्मी को बहुत बुरा लगा और उन्होंने नारायण से पूछा कि वे अपूर्ण कैसे हैं? तब विष्णु जी ने उनसे बोला कि जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती है, तब तब वह पूर्ण नहीं होती है. ये जानकर मां लक्ष्मी अत्यंत पीड़ा का अनुभव हुआ और वे अपने मन की बात कहने अपनी सखी पार्वती के पास पहुंचीं. उन्होंने बोला कि नि:संतान होना बहुत परेशान कर रहा है. इसलिए हे पार्वती क्या आप अपने दोनों पुत्रों में से एक को मुझे गोद दे सकती हैं? माता पार्वती ने उनका दुख दूर करने के लिए ये बात मान ली और गणपति को माता लक्ष्मी को सौंप दिया. इसके बाद से गणपति माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र कहलाने लगे. यह सब होने के बाद मां लक्ष्मी ने बोला कि आज से जिस घर में लक्ष्मी के साथ उसके दत्तक पुत्र गणेश की भी पूजा होगी, वहां मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी. इसी वजह से गणपति के साथ लक्ष्मी की प्रतिमा मां विराजमान होती हैं और दोनों की पूजा हमेशा साथ की जाती है.