Vastu Tips Home: वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर की हर दिशा किसी न किसी देवता को समर्पित होती है। मान्यता है कि यदि उस दिशा में उनसे संबंधित वस्तुएं रखी जाएं, तो घर में सकारात्मकता का विकास होता है। वास्तु जानकारों का बोलना है कि घर में चीजों को ठीक से नहीं रखने पर वास्तु गुनाह उत्पन्न होता है, जिससे नकारात्मकता आती है। इससे घर में बाधा उत्पन्न होती है। वास्तु शास्त्र में एनर्जी को महत्व दिया गया है। वास्तु के मुताबिक कुछ चीजों का ध्यान रखकर घर में निगेटिव एनर्जी को रोका जाता है। निगेटिव एनर्जी आय, सेहत, संबंध आदि सबको प्रभावित करती है। आइए जानें घर की कौन-सी दिशा का संबंध किस देवता से है।
पूर्व दिशा
वास्तु जानकारों के मुताबिक घर की पूर्व दिशा इंद्र और सूर्य देव का अधिपति मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिशा को खाली रखना चाहिए। इतना ही नहीं, यहां पर सूर्य की रोशनी भी आनी चाहिए। सुख समृद्धि के लिए इस दिशा का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है। पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य ग्रह हैं।
पश्चिम दिशा वरुण देव को समर्पित है। इस दिशा में बाथरूम या किचन बनवाना ठीक रहता है। वरुण देव जल तत्व का प्रतीक हैं। पश्चिम दिशा के स्वामी शनि ग्रह हैं।
उत्तर दिशा
घर की उत्तर दिशा कुबेर देव को समर्पित है। इसे धन फायदा की दिशा माना जाता है। इस दिशा में आलमारी, तिजोरी आदि रखने की सलाह दी जाती है। इससे धन में वृद्धि होती है। उत्तर दिशा के स्वामी बुध ग्रह हैं।
दक्षिण दिशा
दक्षिण दिशा का स्वामी यमराज को माना जाता है। यह मौत के देवता हैं। इस दिशा को कभी खाली नहीं रखना चाहिए। कहते हैं कि इसमें भारी सामान रखा जा सकता है। दक्षिण दिशा के स्वामी ग्रह मंगल हैं।
ईशान कोण
घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोण को ईशान कोण बोला जाता है। इस दिशा के अधिपति भगवान शिव हैं और स्वामी ग्रह गुरु हैं। मान्यता है कि ईशान कोण में पूजा घर बनवाना शुभ होता है।
वायव्य कोण
घर के पश्चिम-उत्तर दिशा के कोण को वायव्य कोण बोला जाता है। वायव्य कोण के देवता वायु देव हैं। वास्तु के मुताबिक वायव्य कोण में स्टोर रूम, शौचालय, बाथरूम आदि बनवाना चाहिए। इस दिशा के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं।
नैऋत्य कोण
वास्तु मुताबिक घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा के देव निरती हैं। इस दिशा का तत्व पृथ्वी है। ऐसे में आप नैऋत्य कोण में मिट्टी से बनी वस्तुओं को रखें। बता दें कि नैऋत्य कोण का स्वामी ग्रह राहु है।
आग्नेय कोण
घर के दक्षिण-पूर्व कोण को आग्नेय कोण बोला जाता है। इसका संबंध अग्नि तत्व से है। इस दिशा में इलेक्टॉनिक का सामान रखा जा सकता है। या फिर किचन बनवा सकते हैं। इस दिशा के स्वामी शुक्र देव हैं।
Disclaimer: यहां उपलब्ध सूचना केवल मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि मीडिया किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित जानकार से सलाह लें।