पूरे विश्व में ओमिक्रॉन की दहशत अब भी जारी है. कोविड-19 वायरस की प्रकृति और इसके प्रकारों पर अनुसंधान क्षेत्र में लगातार शोध चल रहे हैं. कोविड-19 वायरस के सुपर स्प्रेडर वेरिएंट ओमिक्रॉन का पता लगाए हुए दो महीने से अधिक समय हो गया है, जिसके बारे में समय-समय नयी जानकारी सामने आ रही हैं. ऐसे में हर कोई इसके बारे में और भी जानने के लिए उत्सुक है. हाल ही में कोविड-19 वायरस के इस प्रमुख वेरिएंट के बारे में पूरे विश्व के वैज्ञानिकों ने अपनी राय दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गुरूवार को अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, एक दिन में 2,86,384 लोगों के कोविड-19 वायरस संक्रमण के लिए पॉजीटिव आने के साथ हिंदुस्तान में Covid-19 मामलों की कुल संख्या बढ़कर 4,03,71,500 हो गई. आंकड़ों में बोला गया है कि 573 मौतों के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 4,91,700 हो गई है. बता दें कि ओमिक्रॉन को डेल्टा की तुलना में खतरनाक माना जा रहा है. इस पर वैक्सीन का प्रभाव भी पूरी तरह से नहीं होता. हालांकि वैक्सीन अब भी खतरनाक रोग के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान कर रही है. तो आखिर ओमिक्रॉन कितना गंभीर है, जानते हैं इस बारे में क्या कहते हैं वैज्ञानिक.
ओमिक्रॉन की गंभीरता को लेकर पूरे विश्व के वैज्ञानिकों ने अपनी राय दी है. उन्होंने बताया है कि कोविड-19 वायरस का यह रूप खतरनाक नहीं है, लेकिन आने वाले कुछ वर्षों तक यह मानव आबादी के बीच बना रहेगा.
पूरे विश्व में ओमिक्रॉन की दहशत अब भी जारी है. कोविड-19 वायरस की प्रकृति और इसके प्रकारों पर अनुसंधान क्षेत्र में लगातार शोध चल रहे हैं. कोविड-19 वायरस के सुपर स्प्रेडर वेरिएंट ओमिक्रॉन का पता लगाए हुए दो महीने से अधिक समय हो गया है, जिसके बारे में समय-समय नयी जानकारी सामने आ रही हैं. ऐसे में हर कोई इसके बारे में और भी जानने के लिए उत्सुक है. हाल ही में कोविड-19 वायरस के इस प्रमुख वेरिएंट के बारे में पूरे विश्व के वैज्ञानिकों ने अपनी राय दी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गुरूवार को अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, एक दिन में 2,86,384 लोगों के कोविड-19 वायरस संक्रमण के लिए पॉजीटिव आने के साथ हिंदुस्तान में Covid-19 मामलों की कुल संख्या बढ़कर 4,03,71,500 हो गई. आंकड़ों में बोला गया है कि 573 मौतों के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 4,91,700 हो गई है. बता दें कि ओमिक्रॉन को डेल्टा की तुलना में खतरनाक माना जा रहा है. इस पर वैक्सीन का प्रभाव भी पूरी तरह से नहीं होता. हालांकि वैक्सीन अब भी खतरनाक रोग के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान कर रही है. तो आखिर ओमिक्रॉन कितना गंभीर है, जानते हैं इस बारे में क्या कहते हैं वैज्ञानिक.
ओमिक्रॉन कितनी तेजी से फैल सकता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 18 जनवरी को बोला है कि
ओमिक्रॉन तेजी से हर स्थान डेल्टा की स्थान ले रहा है
. जब से कोविड-19 के इस प्रकार का पता चला है , वैज्ञानिक इसकी संचरण दर को लेकर चिंतित हैं. ओमिक्रॉन वेरिएंट की ट्रांसमिसिबिलिटी रेट पर एपिडेमियोलॉजिस्ट और विश्व स्वास्थ्य संगठन की Covid-19 टेक्नीकल लीड मारिया वान केरखोव का बोलना है कि ‘वायरस में पाए जाने वाले म्यूटेशन मानव कोशिकाओं से बहुत शीघ्र आकर्षित हो जाते हैं. दूसरा कारण जो वायरस के तेजी से संचरण में सहायता करता है वह है प्रतिरक्षा से बचना. यानी की जिस आदमी को पहले संक्रमण हो चुका है या फिर टीका लग गया है, वो भी दोबारा संक्रमित हो सकता है. मारिया वान केरखोव कहती हैं कि ‘ऊपरी श्वसन पथ में इसकी मौजूदगी के कारण इसे फैलाना बहुत सरल है’.
ओमिक्रॉन है ताकतवर
लॉस एंजेलिस की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पैथोलॉजी और लेबोरेटरी मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर शांगक्सिन यांग
कहते हैं कि ‘जिस गति से ओमिक्रॉन ने पूरे विश्व में अपनी ताकत दिखाई वह अद्भुत थी’. एक इंटरनेशनल मैग्जीन को साक्षात्कार देते हुए उन्होंने बताया कि ‘यह बहुत जादुई है’. ‘दो हफ्तों में पूरे विश्व में
Covid-19
मुद्दे 1 फीसदी से 50 फीसदी और एक महीने में लगभग 100 फीसदी तक बढ़ गए हैं. यह स्पीड बहुत अच्छी है. हमने कभी नहीं सोचा था कि कोई वायरस ऐसा कर सकता है’ ।
ओमिक्रॉन को सुपर स्प्रेडर क्यों बोला जा रहा है
वैज्ञानिकों ने बोला है कि ओमिक्रॉन की अनुवांशिक संरचना प्राकृतिक संक्रमण और टीकाकरण द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी से बचने के लिए इसे और अधिक कुशल बनाती है. इससे
मिलती है. नेचर पब्लिकेशन में वाशिंगटन की यूनिवर्सिटी ऑफ वरमोंट के वायरोलॉजिस्ट एमिली ब्रूस कहते हैं कि ‘ओमिक्रॉन की हाइपर ट्रांसमिसिबिलिटी संक्रमित लोगों से बड़ी मात्रा में वायरस के निकलने से नहीं होती. बल्कि तेज प्रसार का कारण या तो वैक्सीनेशन या फिर पिछला संक्रमण है’.
हाई ट्रासमिसिबिलिटी के बावजूद इसे कम हानिकारक माना जाता है
शुरूआती अध्ययनों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन में फेफड़े के ऊतकों को संक्रमित करने की क्षमता कम हो गई है, जो एक कारण है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों को डेल्टा की तुलना में कम गंभीर रोग होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का बोलना है कि एनिमल मॉडल के शुरूआती अध्ययनों से पता चला कि ओमिक्रॉन संक्रमित पशु कम नैदानिक लक्षण दिखाते हैं और उन्हें कम गंभीर रोग होती है. वेरिएंट की कम गंभीरता पर लोक नायक हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डाक्टर सुरेश कुमार कहते हैं कि ‘ ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है, लेकिन यह डेल्टा वेरिएंट की तुलना में शरीर से बहुत शीघ्र चला भी जाता है’. जानकारों ने बोला है कि वैक्सीनेशन और बूस्टर शॉट्स भी ओमिक्रॉन संक्रमित लोगों में हॉस्पिटल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में अहम किरदार निभाते हैं.
ओमिक्रॉन कुछ वर्षों तक रहेगा हमारे बीच
मैसाच्युसेट्स यूनिवर्सिटी के वायरस एक्सपर्ट जेरेती लुबन कहते हैं कि ‘
ओमिक्रॉन वायरस के तेजी से म्यूटेट होने का रिज़ल्ट है- यह सोचने की कोई वजह नहीं है’. कोविड-19 वायरस का यह रूप खतरनाक नहीं है. इसकी सुपर स्प्रेडिंग क्वालिटी के कारण वैज्ञानिकों को आशा है कि यह अब से कुछ वर्षों तक मानव आबादी के बीच बना रहेगा.
ओमिक्रॉन फैलेगा , लेकिन गंभीर रोग नहीं होगी
ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पूर्व निदेशक और करंट सीनियर इंवेस्टीगेटर डाक्टर वार्नर ग्रीन ने इंटरनेशनल मैग्जीन को बताया कि इस वायरस के साथ सबसे अच्छी बात है कि यह इतना निर्बल हो जाता है कि यह स्वयं एक वैक्सीन का रूप ले लेता है. यह फैल जरूर जाएग, लेकिन इससे गंभीर रोग नहीं होगी.
ओमिक्रॉन खतरनाक है , लेकिन इससे बचना वैसे सरल है. इससे बचाव के लिए हम अब भी टीका लगवाएं और कोविड के सभी नॉर्म का पालन करें. ताकि स्वयं भी सुरक्षित रहें और दूसरें को भी सुरक्षित रखें.