थायराइड (Thyroid) एक आम समस्या है जो डायबिटीज की तरह तेजी से फैल रही है. दरअसल यह एक तितली के आकार की ग्रंथि है जो गर्दन के सामने होती है. यह अंग थायराइड हार्मोन का उत्पादन करता है जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है। जब यह हार्मोन का अधिक या कम उत्पादन करने लगता है, तो इससे समस्याएं हो सकती हैं जिनमें गोइटर, थायरॉइडाइटिस, हाइपरथायरायडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म, ग्रेव्स डिजीज, थायरॉइड कैंसर, थायरॉइड नोड्यूल और थायरॉइड स्टॉर्म आदि शामिल हैं. थायराइड के लक्षण (Thyroid Symptoms) इसकी जटिलता पर निर्भर करते हैं. हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) में ग्रंथि थायराइड हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है. इससे आदमी में आकस्मित वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिख सकते हैं. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली निर्बल हो जाती है, पैरों में सूजन और ऐंठन, कब्ज, चेहरे और आंखों में सूजन, अनियमित मासिक धर्म, खुरदरी और शुष्क त्वचा, कर्कश और भारी आवाज और अवसाद भी होता है. हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) में थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होने लगता है जिससे पीड़ित में आकस्मित वजन बढ़ना, भूख में वृद्धि, गर्मी सहन करने में असमर्थता, अत्यधिक पसीना, मांसपेशियों में कमजोरी, दिल की धड़कन में वृद्धि, नींद की कमी, मासिक स्राव में वृद्धि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. थायराइड का शीघ्र पता लगने से जोखिम कम हो जाता है क्योंकि हेल्दी डाइट लेने और शरीर को उचित पोषण देकर इसका सरलता से उपचार किया जा सकता है. जीवा आयुर्वेद (Jiva Ayurveda) के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान आपको बता रहे हैं कि आयुर्वेद में थायराइड का क्या उपचार है.
थायराइड (Thyroid)
एक आम समस्या है जो डायबिटीज की तरह तेजी से फैल रही है. दरअसल यह एक तितली के आकार की ग्रंथि है जो गर्दन के सामने होती है. यह अंग थायराइड हार्मोन का उत्पादन करता है जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है। जब यह हार्मोन का अधिक या कम उत्पादन करने लगता है, तो इससे समस्याएं हो सकती हैं जिनमें गोइटर, थायरॉइडाइटिस, हाइपरथायरायडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म, ग्रेव्स डिजीज, थायरॉइड कैंसर, थायरॉइड नोड्यूल और थायरॉइड स्टॉर्म आदि शामिल हैं.
थायराइड के लक्षण (Thyroid Symptoms) इसकी जटिलता पर निर्भर करते हैं. हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) में ग्रंथि थायराइड हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है. इससे आदमी में आकस्मित वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिख सकते हैं. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली निर्बल हो जाती है, पैरों में सूजन और ऐंठन, कब्ज, चेहरे और आंखों में सूजन, अनियमित मासिक धर्म, खुरदरी और शुष्क त्वचा, कर्कश और भारी आवाज और अवसाद भी होता है.
हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) में थायराइड हार्मोन का अधिक उत्पादन होने लगता है जिससे पीड़ित में आकस्मित वजन बढ़ना, भूख में वृद्धि, गर्मी सहन करने में असमर्थता, अत्यधिक पसीना, मांसपेशियों में कमजोरी, दिल की धड़कन में वृद्धि, नींद की कमी, मासिक स्राव में वृद्धि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. थायराइड का शीघ्र पता लगने से जोखिम कम हो जाता है क्योंकि हेल्दी डाइट लेने और शरीर को उचित पोषण देकर इसका सरलता से उपचार किया जा सकता है.
जीवा आयुर्वेद (Jiva Ayurveda) के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान
आपको बता रहे हैं कि आयुर्वेद में थायराइड का क्या उपचार है.
आयुर्वेद में थायराइड का इलाज
डॉक्टर चौहान के अनुसार, आयुर्वेद में कुछ चीजें हैं जिनको खाने में शामिल करके थायराइड को कंट्रोल किया जा सकता है. जलकुंभी और सहजन दो ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जो शरीर में आयोडीन के स्तर को बढ़ाने में सहायता करते हैं. इसके अतिरिक्त धनिया और जीरक सिद्ध जाला (jeerak siddha jala) जैसे बूटियां सूजन को बेहतर ढंग से ठीक करने में सहायता कर सकती हैं. अदरक थायराइड का एक बेहतर आयुर्वेदिक उपचार है. यह थायराइड के कामकाज में सुधार करने की क्षमता रखता है. बेहतर रिज़ल्ट के लिए अदरक को पानी में उबालकर चाय की तरह पिएं.
विटामिन डी भी है जरूरी
शरीर में विटामिन डी की कमी से थायराइड की समस्या बढ़ सकती है. प्रातः काल शीघ्र धूप में निकलना इस कमी को दूर करने का एक अच्छा उपाय है. आउटडोर अभ्यास से भी थायराइड ग्रंथियां उत्तेजित होती हैं. इससे इम्यून सिस्टम को बढ़ावा मिलता है और कैल्शियम चयापचय को नियंत्रित करता है.
चीनी के अधिक सेवन से बचें
डॉक्टर ने बताया है कि थायराइड में सभी प्रकार की प्रसंस्कृत चीनी के सेवन से बचना चाहिए. चीनी का अधिक सेवन करने से हालत अधिक बेकार हो सकती है और इससे
डायबिटीज का भी खतरा बढ़ सकता है.
विटामिन ए वाली चीजों का करें सेवन
डॉक्टर का बोलना है कि थायराइड होने पर आपको विटामिन ए से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं, जैसे ब्रोकली, पालक, और ज्यादातर गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियां, साथ ही सेब और केले जैसे फल खाने चाहिए.
थायराइड में इन चीजों से करें परहेज
डॉक्टर चौहान के अनुसार, थायराइड के मरीजों को कच्ची सब्जियां, विशेष रूप से फूलगोभी, केल, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और ब्रोकली खाने से बचना चाहिए. इससे उनकी हालत और अधिक गंभीर हो सकती है.